By Anushka Yadav
Nov 29 , 2023
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च्यवनप्राश भारत में ही नहीं विश्वभर में निर्यात किया जाता है. इसे आयुर्वेद का सुपेरफ़ूड बताया जाने लगा है. कहा जाता है कि च्यवन ऋषि ने यौवन की कामना करते हुए अश्विनी कुमारों से ये औषधि प्राप्त की थी. आईए जानते हैं इससे जुड़े कुछ और तथ्य-
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कहा जाता है कि च्यवन ऋषि ने यौवन की कामना करते हुए अश्विनी कुमारों से ये औषधि प्राप्त की थी. इसीलिए इसे च्यवनप्राश कहा जाता है.
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च्यवनप्राश बेल, गोखरू, आँवला, हरद, गिलोय, मुनक्का, आदि जैसी 51 जड़ी बूटियों का समिश्रण होता है.
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बुढ़ापे की निशानियों में से एक- भूलने की बीमारी से च्यवनप्राश रक्षा करता है. इसका सेवन बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है.
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च्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है. इसलिए सर्दियों में इसका सेवन फ़ायदेमंद है. इससे न सिर्फ शरीर को गर्माहट मिलती है बल्कि सर्दी ज़ुकाम में भी आराम मिलता है.
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च्यवनप्राश को दिन में 2 से चार बार खाया जा सकता है. खाली पेट खाना ज़्यादा फायदेमंद है. इसे शहद या दूध के साथ खा सकते हैं.
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